इस तरह से कभी न खाएं खाना, हो सकती हैं कई बीमारियां
आप जब भी खाना खा रहे हों तो याद रखें आपका मुंह किस तरफ है।

आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खान-पान पर उतना ध्यान नहीं दे पाते हैं। कुछ लोग भोजन तो करते हैं लेकिन इसका सही तरीका क्या है इसको नहीं जानते हैं और जैसे-तैसे भोजन कर लेते हैं। परिणाम ये होता है कि पेट से लेकर शारीर के अन्य अंगों से संबंधित तमाम प्रकार की बीमारियां होने लगती है। यदि भोजन सही समय और ठीक प्रकार से किया जाए तो सभी बिमारियों से पार पाया जा सकता है। हम आपको आज बता रहे हैं कि किस प्रकार से से भोजन किया जाए जो अच्छे स्वस्थ्य लिए लाभदायक हो।
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भोजन पूरब और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है। पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है। बिस्तर पर, हाथ पर रखकर, टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए।
मल-मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वटवृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए। परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग और दीनभाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है। खड़े-खड़े, जूते पहनकर या सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए। गरिष्ठ भोजन यानि जो देर से पचता है कभी न करें। बहुत तीखा या बहुत मीठा भोजन न करें। किसी के द्वारा छोड़ा हुआ भोजन न करें। खाना छोड़कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए। जो ढिंढोरा पीटकर खिला रहा हो, वहां कभी न खाएं।
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पशु या कुत्ते का छुआ, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राद्ध का निकाला, बासी, मुंह से फूंक मारकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन न करें।अनादरयुक्त, अवहेलनापूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करें।
कंजूस का, राजा का, वेश्या के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन और ब्याज का धंधा करने वाले का भोजन कभी नहीं करना चाहिए।
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