यमराज और यमुना की इस कथा ने बताया, क्यों है भाई दूज मनाना जरूरी
भाई दूज का त्यौहार हमेशा से ही भाई-बहन के रिश्ते में प्यार को बढ़ाने वाला साबित हुआ है। भाई दूज 9 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस त्यौहार के पीछे छुपी है यमराज की एक कहानी।

(Bhai Dooj 2018) भाई दूज 2018:
भाई दूज का त्यौहार हमेशा से ही भाई-बहन के रिश्ते में प्यार को बढ़ाने वाला साबित हुआ है। भाई दूज 9 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस त्यौहार के पीछे छुपी है यमराज की एक कहानी। इस भाई दूज स्पेशल स्टोरी में जानिए भाई दूज कथा-
भाई दूज कथा
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। सूर्यदेव और छाया की दो संतान थी। जिनका नाम यमराज और यमुना रखा गया। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। भगवान श्रीकृष्ण से विवाह होने के पश्चात यमुना हमेशा यमराज से निवेदन किया करती कि वो उसके घर आएं। और घर आकर उसके हाथ का बना भोजन खाएं।
यमराज सदा अपने कार्य में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल दिया करता था। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर से यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया। अपनी बहन की बात को इस बार यमराज से टाला नहीं गया। और सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं।
मुझे कभी भी कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता है। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। यह सोचकर यमराज आगे बढ़ा और यमुना के घर जाने के लिए निकला कि तभी नरक लोक में जीवों के ऊपर उसे दया आ गई।
यमुना के घर जाने के कारण यमराज प्रेम भाव से भरे हुए थे इस कारण से उन्होंने नरक लोक में निवास करने वाले जीवों को भी मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया।
यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे।
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यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
तभी से जो भी बहन इस दिन अपने भाई को तिलक कर उसे भोजन करवाती है, उसे और उसके भाई को कभी नरक लोक नहीं जाना पड़ता है। इस कथा में बताई गई घटना के कारण ही इस दिन को यम द्वितिया भी कहा गया है।
भाई दूज तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त
9 नवंबर 2018 - दोपहर 01:09 मिनट से 03:17 मिनट तक
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