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Sawan 2021 : भगवान शिव को इसीलिए पसंद है भस्म, जानें इसका ये गुप्त रहस्य

  • भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट और परिशानियां दूर हो जाते हैं।
  • सावन का महीना और भस्म दोनों ही भगवान आशुतोष शिव को ही प्रिय है।

Savan Somvar Vrat : सावन का तीसरा सोमवार आज शिवलिंग पर चढ़ा दे ये एक चीज, करें आटे का ये उपाय, बदल जाएगी किस्मत
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Savan Somvar Vrat : सावन का तीसरा सोमवार आज शिवलिंग पर चढ़ा दे ये एक चीज, करें आटे का ये उपाय, बदल जाएगी किस्मत

Sawan 2021 : सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट और परिशानियां दूर हो जाते हैं। क्योंकि सावन का महीना भगवान आशुतोष शिव को ही प्रिय है। शास्त्रों के मुताबिक चातुर्मास के दौरान सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के पास होने के कारण वे इस दौरान पृथ्वी पर भ्रमण करते रहते हैं। सावन मास में की गई पूजा-अर्चना से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। वहीं अनेक स्थानों पर सावन माह के दौरान भगवान शिव की भस्म आरती भी की जाती है। भगवान शिव की भस्म आरती करने के लिए भस्म को प्रतिदिन श्मशान की जली हुई चिताओं से लाया जाता है। वहीं श्मशान की इस भस्म को साधु-संत तथा अघोरी लोग भी अपने शरीर पर लगाते हैं। तो आइए जानते हैं भगवान शिव को भस्म क्यों प्रिय है।

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भस्म लगाने का रहस्य

शास्त्रों के मुताबिक, भगवान देवादिदेव महादेव को मृत्यु का स्वामी माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शव से ही भगवान आशुतोष का शिव नाम बना है। ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव का शरीर नश्वर है और इसे एक दिन इस भस्म की तरह राख हो जाना है। जीवन के इसी पड़ाव का भगवान शिव सम्मान करते हैं। शव के इस सम्मान के लिए वो अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। इसीलिए ही भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है।

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एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष ने एक बार एक यज्ञ किया था और उन्होंने भगवान शिव और माता सती को यज्ञ के लिए निमंत्रण पत्र नहीं दिया था। वहीं अपने पिता राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव के इस अपमान को माता सती बर्दाश्त ना कर सकीं और उन्होंने क्रोध में आकर खुद यज्ञकुंड की अग्नि को समर्पित कर दिया था। माता सती के शव को लेकर भगवान शिव सृष्टि में तांडव करने लगे। वे माता सती के शव को लेकर सृष्टि में विलाप करते हुए भ्रमण कर रहे थे। तभी भगवान श्रीहरि विष्णु से भगवान शिव की ऐसी दशा देखी नहीं गई और उन्होंने माता सती के शव को भस्म के रुप में बदल दिया था। अपने हाथों में सती के शव के स्थान पर भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए। माता सती को याद करते हुए उन्होंने उस राख को ही अपने शरीर पर लगा लिया। इसलिए भगवान शिव को भस्म पंसद है क्योंकि वे माता सती से अलग नहीं होना चाहते हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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