नवरात्र महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती के नौ रूपों की उपासना का पर्व
डबल पीएचडी ज्योतिषाचार्य व नवग्रह विशेषज्ञ डॉ. रमन मिश्रा ने बताया नवरात्रि का महत्व


भोपाल। महालक्ष्मी मन से, महाकाली शरीर से और महासरस्वी बुद्धि से संबंधित शक्ति है। इन तीनों अदृश्य शक्तियों की उपासना से त्रिकोण निर्मित होता है, इसके कितने भी विभाग बन जाए अर्थ, बल, ज्ञान का स्तर ही मनुष्य जीवन के लिए अंतिम होता है और नवरात्रि पर्व पर इन्हीं तीनों शक्तियों को नौ देवियों के रूप में पूजन से संबंधित है। यह कहना है 12 साल से संस्कृत लिटरेचर पर काम करने वाले और नवरात्रि ज्योतिष और ग्रह दशा पर रिसर्च करने वाले डबल पीएचडी पंडित डॉ. रमन मिश्रा का। पंडित रमन से हरिभूमि ने जाना कि आखिर क्यों मनाया जाता है नवरात्रि पर्व, क्या विशेषता है इस पर्व की और नवरात्र में भक्तों की उपासना किस तरह से होनी चाहिए जिससे नौ देवियां प्रसन्न हों और मानव जीवन को समृद्धि और खुशहाल बना दें।
एक ही शक्ति के तीन रूप, तीनों की ही आवश्यकता मानव को
रमन मिश्रा ने कहा कि मेरा 12 सालों का अनुभव है और नवरात्र पर्व शक्ति की उपासना का उत्सव है। प्राचीन मानव जीवन के लिए शक्ति को ही सर्वोपरि माना था और यह शक्तियां अदृश्य हैं सिर्फ महसूस होती है। उन्होंने कहा कि शक्ति की साधना के उत्सव के रूप में नवरात्र पूजन किया जाता है और हमारे प्राचीन ग्रंथों में पुराणों में तीन देवियों का वर्णन मिलता है महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी जिनमें महालक्ष्मी मन से, सरस्वती बुद्धि से और महाकाली शरीर से संबंधित हैं। इस प्रकार से एक ही शक्ति के तीन रूप हैं और इन तीनों की ही आवश्यकता मनुष्य जाति को है।
आर्थिक रूप से संपन्न होंगे तो मन भी प्रसन्न होगा
जब आर्थिक रूप से संपन्न होंगे तो संभावित है कि मन भी प्रसन्न रहेगा, बुद्धि ऊर्जा प्रदान करती है और प्रकृति संभावित ही सहयोग करने लगती है। उन्होंने कहा कि महाकाली शारीरिक शक्ति से संबंधित है, जो मनुष्य को बलवान बनाती हैं और शारीरिक शक्ति विकसित करती है। शरीर से ही सफलता प्राप्त होती है, मन से संबंधित शक्ति है महालक्ष्मी जो धन संपदा प्रदान करती है, वहीं बुद्धि का संबंध है मां सरस्वती से जो बुद्धि में प्रखरता लाती हैं, मनुष्य तार्किक चिंतन करता है और सही गलत के बीच उचित अंतर से ही जीवन के निर्णय को लेता है।
छ महीने नवरात्रि पर्व में उपासना से शक्ति का क्रम चलता रहता है
चैत्र और आश्विन नवरात्रि 6 महीने के अंतर से आती है, जिसमें 9 दिनों का विशेष महत्व है। इन 9 दिनों की विशेष पूजन अर्चन से शक्ति की उपासना से शारीरिक मानसिक और बौद्धिक विकास होता है और शरीर में इतनी ऊर्जा उत्पन्न होती है कि अगले छह महीनों के लिए वह ऊर्जा शरीर में रहती है और फिर अगले 6 महीने बाद फिर नवरात्र आते हैं जिसमें पूजन अर्चन से शक्ति का यह क्रम चलता रहता है।
कोरोना रूपी राक्षस को मारने के लिए नौ देवियों का पूजन अर्चन है जरूरी
उन्होंने कहा कि केरल में कोरोना का पहला केस आया था तभी मैंने भविष्यवाणी की थी कि कोरोना 2025-26 तक रहेगा भले ही थोड़े बहुत रूपों में रहे लेकिन रहेगा। इसलिए वर्तमान समय में कोरोना रूपी राक्षस को मारने के लिए नौ देवियों का पूजन अर्चन आवश्यक है।