Coronavirus: घर में सुबह शाम इस मंत्र का जाप करने से दूर हो जाएगा कोरोना का डर, ऐसे करें मंत्रों का उच्चारण
दुनिया से लेकर देश में फैल रहे कोरोना से लोगों में बना हुआ है डर का माहौल। इस मंत्र का जाप कर आएगी सकारात्मक ऊर्जा

इस समय देश दुनिया में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से हर कोई डरा हुआ है भयभीत है। इसकी वजह इस महामारी का बुरी तरह से फैलना है। अगर आप भी इस कोरोना वायरस जैसी महामारी से डरे हुए हैं और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा चाहते हैं, तो हर रोज सुबह शाम भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) का जप करें। पंडित रामअवतार ने बताया कि शिव महापुराण में महामृत्युंजय के बारे लिखा है कि इसके जपकर्ता को जीवन में किसी भी चीज का भय नहीं रहता है।
हर दिन 108 बार करें मंत्र का जाप
अगर कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस (Coronavirus) जैसी प्राण घातक बीमारी से भयभीत है। तो उसे बचाव के साथ ही हर दिन अपने घर में रहकर अकेले बैठकर (Maha Mrityunjaya Mantra Jaap) महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मन शांत होगा। साथ ही किसी भी तरह की बीमारी का डर मन से निकल जाएगा। पंडित जी बताते है कि तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप (Maha Mrityunjaya Mantra Jaap) संभव हो तो रुद्राक्ष की माला से ही करें। जप के बाद गाय के घी से घर में हवन करने से कोई रोगी के स्वास्थ्य में भी जल्द से जल्द सुधार होने लगेता है।
यह है, महामृत्युंजय मंत्र
।। ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ । पंडित बताते है कि यह बहुत ही प्रभावशाली संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है।
जप करते समय इन बातों का रखें ध्यान
-तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र जप करते समय उच्चारण की शुद्धता का पूरा ध्यान रखें।
- मंत्र जप 108 बार से करें। इससे कम तो बिल्कुल न करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें।
- जप करने तक घी का दीपक एवं चंदन की धूप जलती रहनी चाहिए।
- मंत्र का उच्चारण बोलने की जगह मन मन में करें। जिसे किसी को परेशानी न हो। आपकी ध्यान भी न भटके।
- रुद्राक्ष की माला से ही तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
- जप करते समय आलस्य या उबासी को बिलकुल भी न आने दें।
- जमीन की जगह कुशा के आसन पर बैठकर जप करें।
-जप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।