Pitru Paksh 2021: दानवीर कर्ण के कारण मनाया जाता है 16 दिन का श्राद्ध पक्ष, जानें ये पौराणिक कथा
Pitru Paksh 2021: भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लगातार 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष यानी पितृपक्ष मनाया जाता है। इस दौरान हिन्दू सनातन धर्म में लोग अपने पितरों की याद में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि कर्मकाण्ड करते हैं।

Pitru Paksh 2021: भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लगातार 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष यानी पितृपक्ष मनाया जाता है। इस दौरान हिन्दू सनातन धर्म में लोग अपने पितरों की याद में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि कर्मकाण्ड करते हैं। जिससे उनकी आत्मा की शांति हो सके और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। परन्तु बहुत कम लोग ही जानते हैं कि 16 दिन का पितृपक्ष दानवीर कर्ण के कारण भी मनाया जाता है और कर्ण के कारण ही पितृ पक्ष मनाने की परंपरा की शुरआत हुई। तो आइए जानते हैं इसके पीछे धार्मिक कथा के बारें में...
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दान का महत्व
पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान-पुण्य और कर्मकाण्ड आदि वैदिक अनुष्ठानों का विशेष विधान होता है और इस प्रकार के कर्मों का फल हमारे पूर्वजों को वो जिस भी लोक में होते हैं वहां उन्हें प्राप्त होता है।
वहीं धर्मशास्त्रों के अनुसार, दानवीर कर्ण अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने जीवन पर्यन्त गरीब और जरूरतमंदों को खूब धन और स्वर्ण का दान किया था।
दानवीर कर्ण अपने यहां पर आने वाले किसी भी व्यक्ति को कभी भी खाली हाथ नहीं लौटाते थे, वे सभी लोगों को जरुरत से अधिक धन देते थे, परन्तु कर्ण ने अपने जीवन में कभी भी अन्न और खाद्य पदार्थों का दान नहीं किया।
वीरगति प्राप्त होने के बाद जब दानवीर कर्ण ने मृत्युलोक छोड़ा और वे स्वर्गलोक पहुंचे तो उन्हें खूब सोना और आभूषण आदि दिए गए, लेकिन भोजन में कोई भी खाद्य पदार्थ नहीं दिया गया।
कर्ण ने जब देवराज इंद्र से इसका कारण पूछा तो देवराज इंद्र ने बताया कि उन्होंने जीवन भर सोना ही दान किया है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए कभी भी अन्य दान नहीं किया, इसलिए उन्हें अन्न नहीं दिया गया। तब कर्ण ने इस बात को लेकर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि मुझे अन्नदान के महत्व की जानकारी नहीं थी।
कर्ण को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्हें अपने गलती सुधारने के लिए एक बार 16 दिन के लिए धरती पर भेजा गया था। इन 16 दिनों में कर्ण ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए तर्पण किया और भूखे और गरीबों को अन्न दान किया और फिर स्वर्गलोक चले गए।
ऐसी मान्यता है कि तभी से 16 दिन का पितृपक्ष मनाने की परंपरा चल रही है और इस दौरान लोग अपने पुरखों को यादकर भोज का आयोजन करते हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पितृपक्ष के दौरान यदि कोई भिक्षा मांगने आए तो उन्हें कभी खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)