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पितृों को तर्पण देने की विधि, आप भी जानें

पितृ यानि हमारे घर-परिवार में जिन लोगों का देहांत हो जाता है वे लोग पितृ बनकर सदा अपना आशीर्वाद हमारे ऊपर बनाए रखते हैं। अगर किसी वजह से पितृ हमें नाराज हो जाए अथवा रूठ जाएं तो उसके लिए पितृ पक्ष में उनका तर्पण करके उन्हें मनाना चाहिए। पितृ पक्ष में उनका तर्पण करें, और यदि किसी वजह से आप पर कोई पितृ दोष लगा हुआ है तो आप उस पितृ दोष का उपाय जरुर करें। तो आइए आप भी जानें पितृों को तर्पण देने की विधि के बारे में आवश्यक बातें।

पितृों को तर्पण देने की विधि, आप भी जानें
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प्रतीकात्मक तस्वीर

पितृ यानि हमारे घर-परिवार में जिन लोगों का देहांत हो जाता है वे लोग पितृ बनकर सदा अपना आशीर्वाद हमारे ऊपर बनाए रखते हैं। अगर किसी वजह से पितृ हमें नाराज हो जाए अथवा रूठ जाएं तो उसके लिए पितृ पक्ष में उनका तर्पण करके उन्हें मनाना चाहिए। पितृ पक्ष में उनका तर्पण करें, और यदि किसी वजह से आप पर कोई पितृ दोष लगा हुआ है तो आप उस पितृ दोष का उपाय जरुर करें। तो आइए आप भी जानें पितृों को तर्पण देने की विधि के बारे में आवश्यक बातें।

कई बार लोगों के जीवन में ऐसी समस्याएं आ जाती हैं कि वह अपने पितृों का तर्पण किसी ब्राह्मण या आचार्य द्वारा नहीं करा पाते है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को शास्त्रोक्त रीति से खुद ही नियमों का पालन करके पितृों का तर्पण आदि कर्म करना चाहिए।

सबसे पहले आप एक लोटा जल लेंगे, उसमें थोड़ा सा दूध, काले तिल , जौ, और चावल डाल दें। और आप थोड़ा सा चंदन भी लोटे में डालें। और आप इसके बाद लोटे के जल में कुशा डालकर इसे मिला लें।

और कुशा को दाहिने हाथ में अंगुठे से दबाकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके सबसे पहले तितलांजलि यानि की तीन अंजलि जल हाथ से छोड़ें। पहली अंजलि भगवान ब्रह्मदेव की, दूसरी भगवान विष्णु के लिए और तीसरी अंजलि भगवान शिव के लिए अर्पित करें। क्योंकि हम उन्हीं की संतान हैं, और उन्हीं से हम उत्पन्न हुए हैं। सारी सृष्टि को चलाने वाले त्रिदेव हैं। इसलिए पहली तीन अंजलि उन्हीं को जाती हैं।

इसके पश्चात सात अंजलि चिरंजीवियों के नाम की देते हुए चिरंजीवी मंत्र का जाप करें।

चिरंजीवी मंत्र

'अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥'

इसके अनुसार पहली अंजलि अश्पत्थामा, दूसरी राजा बलि, तीसरी वेद व्यास चौथी अंजलि हनुमान जी, पांचवीं अंजलि विभीषण, छठीं अंजलि कृपाचार्य और सातवीं अंजलि भगवान परशुराम जी को अर्पित करेंगे।

इसके बाद आपको अपने मन में अपने पितृों का ध्यान करते हुए जो भी आपके सगे, संबंधी पितृ रूप में हैं, उनका नाम लेते हुए और उनका ध्यान करते हुए उनके गोत्र का नाम लेते हुए प्रत्येक पितृ को तीन बार जलांजलि देंगे। और जिन-जिन पितृों का आप तर्पण करना चाहते हैं उनको आप तीन-तीन बार जलांजलि देंगे।

तर्पण देते समय अपने मन में अपने पितृों के प्रति कामना करें कि हे पितृ देव हम आपको तर्पण दे रहे हैं कृप्या आप इसे स्वीकार करें। आप मेरे द्वारा दिये गए इस जल को जिस लोक में भी आप रहते हैं वहां स्वीकार करें। और आप अपनी कृपा दृष्टि हम और हमारे परिवार पर बनाएं रखें। इस प्रकार से आपको अपने पितृों का तर्पण करना चाहिए।

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