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Pitru Paksha : श्रद्धा के साथ मंत्रोच्चार से करें अपने पितृों को प्रसन्न

Pitru Paksha : हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णता बिना मंत्रोच्चार के नहीं होती है। सभी धर्म-कर्म, पूजा -पाठ, जप-तप, आदि में मंत्रोच्चार का विशेष महत्व है। इसी प्रकार श्राद्ध कर्म में भी मंत्रोच्चार का विशेष स्थान है। मानव जीवन में कई प्रकार के सुख बताए गए हैं, लेकिन आज हम दो सुखों की बात बताएंगे। जिसमें पहला है पुरूष सुख, और दूसरा है पितृ सुख। इनके उपलब्ध ना होने पर आप मंत्रों के प्रयोग से श्राद्ध कर्म की पूर्णता हो सकती है। तो आइए आप भी जानें इन मंत्रों के बारे में जरूरी बातें।

Pitru Paksha : श्रद्धा के साथ मंत्रोच्चार से करें अपने पितृों को प्रसन्न
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प्रतीकात्मक तस्वीर

Pitru Paksha : हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णता बिना मंत्रोच्चार के नहीं होती है। सभी धर्म-कर्म, पूजा -पाठ, जप-तप, आदि में मंत्रोच्चार का विशेष महत्व है। इसी प्रकार श्राद्ध कर्म में भी मंत्रोच्चार का विशेष स्थान है। मानव जीवन में कई प्रकार के सुख बताए गए हैं, लेकिन आज हम दो सुखों की बात बताएंगे। जिसमें पहला है पुरूष सुख, और दूसरा है पित्तर सुख। इनके उपलब्ध ना होने पर आप मंत्रों के प्रयोग से श्राद्ध कर्म की पूर्णता हो सकती है। तो आइए आप भी जानें इन मंत्रों के बारे में जरूरी बातें।


मंत्र

ओम कुलदेवताय नम:

अपने पितृों के श्राद्ध के दिन इस मंत्र का 21 बार जाप करें।

मंत्र

ओम कुलदेवाय नम:

अपने पितृों के श्राद्ध के दिन इस मंत्र का भी 21 बार जाप करें।

मंत्र

ओम नागदेवताय नम:

इस मंत्र का भी 21 बार उच्चारण करें।

मंत्र

ओम पितृ देवताय नम:

इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

वैसे तो श्राद्ध का मतलब श्रद्धा से अपने पितरों के निमित जो भी कुछ शुभ कर्म किया जाए, वहीं श्राद्ध कहा जाता है। यही कारण है कि हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रत्येक हिन्दू परिवार को पितृ पक्ष में श्राद्ध पूर्ण श्रद्धा से आवश्यक रूप से करने के लिए कहा गया है। तो आपको भी यह स्मरण रखना चाहिए कि श्राद्ध की विधि श्रद्धा के साथ स्नान आदि करने के बाद किसी आसन पर बैठकर करें। इससे आपके पितृ प्रसन्न होंगे। और आपको लाभ होगा।

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