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जानिए विजयादशी का पर्व मनाने के कारण

VijayaDashmi 2020: विजयादशमी हिन्दूओं द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार अक्टूबर माह में आता है। लोग इस पर्व को विजयादशी कहते हैं। अर्थात अच्छाई की बुराई पर विजय का दिवस। तो आइए आप भी जाने शास्त्रों और मान्यताओं के आधार पर विजयादशमी मनाने के कारणों के बारे में।

जानिए विजयादशी का पर्व मनाने के कारण
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प्रतीकात्मक

VijayaDashmi 2020 : विजयादशमी हिन्दूओं द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार अक्टूबर माह में आता है। लोग इस पर्व को विजयादशी कहते हैं। अर्थात अच्छाई की बुराई पर विजय का दिवस। तो आइए आप भी जाने शास्त्रों और मान्यताओं के आधार पर विजयादशमी मनाने के कारणों के बारे में।

बहुत समय पहले एक महिषासुर नाम का राक्षस था। महिषासुर यानि की जंगली भैंसा। बलशाली होने के साथ-साथ उसकी तीनों लोकों पर राज करने की तीव्र इच्छा थी। उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की और वह अपनी इच्छा की पूर्ति की कामना करने लगा। कठिन परिश्रम, तपस्या और भूख-प्यास आदि से सहने के पश्चात एक दिन ब्रह्मा जी प्रकट हुए। और महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा जी से एक वरदान मांग लिया। वरदान में उसने मांगा कि उसको कोई हरा नहीं सकता, कोई मार नहीं सकता, और कोई स्त्री उससे लड़ाई में जीत नहीं पाएंगी।

ब्रह्मा जी से वरदान मिलने के पश्चात महिषासुर ने अपने ऊपर से नियंत्रण खो दिया। और धरती पर प्रलय मचा दिया। उसने सोचा कि अब तो मुझे ब्रह्मा, विष्णु और शिव भी नहीं रोक सकते हैं। इसके पश्चात त्रिदेवों ने महिषासुर को पराजित करने का एक विकल्प निकाला। विकल्प एक ही था कि कोई स्त्री ही उसे मार सकती है। इसलिए एक बलशाली और शक्तिशाली स्त्री को भेजा गया। और उस स्त्री का नाम था दुर्गा। तथा कालांतर में उसे माता दुर्गा के नाम से जाना जाने लगा।

मां दुर्गा को सारे शास्त्र प्रदान कराए गए। और आठ हाथों से मां दुर्गा को महिषासुर से लड़ने भेजा गया। भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र, भगवान शिव ने त्रिशूल, और देवराज इंद्र ने वज्र से सम्मानित किया गया। और इतने सारे शास्त्रों के साथ-साथ मां दुर्गा को शेर की सवारी भी प्रदान की गई।

शेर पर सवार होने के बाद मां दुर्गा चंडी रूप धारण करके महिषासुर का वध करने के लिए आ गई। महिषासुर भी अपनी तैयारी में सक्षम था। उसने मां दुर्गा पर अपनी सेना के साथ वार किया। और स्वयं मां दुर्गा से भिड़ गया। तथा युद्ध के दौरान रुप बदल-बदल कर मां दुर्गा पर वार करने लगा। परन्तु मां दुर्गा ने उसकी सेना को चीर कर रख दिया। लगातार नौ दिन की लड़ाई के बाद मां दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर का वध कर दिया। सारे ब्रह्मांड में इस विजय को मनाया गया। और कालांतर में यह दिवस विजयादशमी के रुप में मनाया जाने लगा। नौ दिन की लड़ाई के कारण इस पर्व को नवरात्रि भी कहा जाने लगा। विजय की प्राप्ति दसवें दिन हुई ता इसे दशहरा भी कहा जाने लगा।

मां दुर्गा और उनके सारे अवतार और उनके अन्य स्वरुपों को भी ब्रह्मांड में पूज्य माना जाने लगा। बंगाल में मां दुर्गा की मूर्ति को पंडाल में पूजा जाने लगा। और एक बड़े त्योहार की तरह मनाया जाने लगा।

यह भी माना जाता है कि श्रीराम ने रावण को भी इसी दिन पराजित करते हुए उसे मृत्यु के घाट उतार दिया था। उत्तर भारत में रामलीला के मंचन के रुप में राम और रावण की लड़ाई को दर्शाया जाता है।

महाभारत काल में इस दिन पांडवों ने अज्ञातवास को पूरा किया था। इस दिन उन्हें शस्त्र धारण करने का आदेश प्राप्त हुआ था। जोकि शमी के वृक्ष में छिपाए गए थे। इसलिए लोग इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा भी करते हैं।

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