Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

कामेश्वर धाम: भगवान शिव ने यहां किया था कामदेव भस्म, जानिए इस स्थान की महिमा

भगवान शिव का कामेश्वर धाम उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद मे स्थित है। कामेश्वर धाम के बारे में बताया जाता है कि यह स्थान शिव पुराण मे वर्णित वही स्थान है जहां पर भगवान शिव ने कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था।

कामेश्वर धाम: भगवान शिव ने यहां किया था कामदेव भस्म
X
प्रतीकात्मक

भगवान शिव का कामेश्वर धाम उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद मे स्थित है। कामेश्वर धाम के बारे में बताया जाता है कि यह स्थान शिव पुराण मे वर्णित वही स्थान है जहां पर भगवान शिव ने कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था।

यहां पर आज भी वह आधा जला हुआ, हरा भरा आम का वृक्ष (पेड़) है जिसके पीछे छिपकर कामदेव ने समाधी में लीन भगवान शिव को समाधि से जगाने के लिए अपना पुष्प बाण चलाया था। यहां भगवान अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसा बताया जाता है कि यहां प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है।

इसलिए किया भगवान शिव ने कामदेव को भस्म

भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने के विषय में शिव पुराण के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव कि पत्नी माता सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ मे अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पाईं। और इस दौरान माता सती आहत होकर यज्ञ की वेदी मे कूदकर आत्मदाह कर लेती है। जब यह बात भगवान शिव को पता चलती है तो वो अपने तांडव से संपूर्ण सृष्टि में हाहाकार मचा देते हैं। इससे व्याकुल सारे देवता भगवान शिव को समझाने के लिए उनके पास जाते हैं। इसके बाद भगवान शिव देवताओं के आग्रह करने के बाद शान्त होकर, परम शान्ति के लिए, गंगा और तमसा नदी के इस परम पवित्र संगम पर आकर समाधि मे लीन हो जाते हैं।

इसी बीच महाबली राक्षस तारकासुर अपने तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके ऐसा वरदान प्राप्त कर लेता है कि तारकासुर की मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही संभव हो सकती थी। यह एक तरह से तारकासुर के लिए अमरता का वरदान था क्योंकि माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव समाधि में लीन थे।

इसी कारण उस दौरान तारकासुर का उत्पात दिनों दिन बढ़ जाता हैं और ताराकासुर स्वर्ग पर अधिकार करने की चेष्टा करने लगता है। यह बात जब देवताओं को पता चलती है तो वो सब चिंतित हो जाते है और भगवान शिव को समाधि से जगाने का निश्चय करते हैं। इसके लिए वो कामदेव को सेनापति बनाकर यह काम कामदेव को सौंपते हैं।

कामदेव, महादेव के समाधि स्थल पर पहुंचकर अनेक प्रयास के द्वारा भगवान शिव को समाधि से जगाने का प्रयास करते हैं, जिसमें अप्सराएं आदि भी कामदेव का साथ देतीं हैं लेकिन कामदेव के सारे प्रयास विफल हो जाते हैं। और अंत में कामदेव स्वयं भगवान शिव को जगाने लिए खुद को आम के पेड़ के पत्तों के पीछे छिपाकर शिवजी पर पुष्प बाण चलाते हैं। पुष्प बाण सीधे भगवान शिव के हृदय में लगता है, और भगवान शिव की समाधि टूट जाती है। भगवान शिव अपनी समाधि टूट जाने से बहुत क्रोधित होते हैं और आम के पेड़ के पत्तों के पीछे खड़े कामदेव को अपने त्रिनेत्र से जला कर भस्म कर देते हैं।

कामेश्वर धाम में तीन प्राचीन शिवलिंग और शिव मंदिर स्थापित हैं

1. श्रीकामेश्वर नाथ का मंदिर: श्रीकामेश्वर नाथ का यह शिवालय रानी पोखरा के पूर्वी तट पर विशाल आम के वृक्ष (पेड़) के नीचे स्थित है। यहां कराई गई खुदाई में यहां स्थापित शिवलिंग मिला था जो कि ऊपर से थोड़ा सा खंडित है।

2. श्री कवलेश्वर नाथ का मंदिर: भगवान श्री कवलेश्वर नाथ के इस मंदिर की स्थापना अयोध्या के राजा कमलेश्वर ने कि थी। कहते है की यहां आकर उनका कुष्ट रोग ठीक हो गया था इस शिवालय के पास में ही राजा कमलेश्वर ने एक विशाल तालाब बनवाया जिसे रानी पोखरा कहते हैं।

3. भगवान श्री बालेश्वर नाथ का मंदिर: भगवान बालेश्वर नाथ शिवलिंग के बारे मे कहा जाता है कि यह एक चमत्कारिक शिवलिंग है। किवदंती है कि 1728 में अवध के नवाब मुहम्मद शाह ने कामेश्वर धाम पर हमला किया था तब बालेश्वर नाथ शिवलिंग से निकले काले भौरों ने जवाबी हमला कर उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया था।

ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है कामेश्वर धाम

त्रेतायुग में इस स्थान पर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम लक्ष्मण आये थे जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। अघोर पंथ के संस्थापक बाबा श्री कीनाराम की प्रथम दीक्षा यहीं पर हुर्इ थी। यहां पर दुर्वासा ऋषि ने भी तप किया था। बताते हैं कि इस स्थान का नाम पूर्व में कामकारू कामशिला था। यही कामकारू पहले अपभ्रंश में काम शब्द खोकर कारूं फिर कारून और अब कारों के नाम से जाना जाता है।

और पढ़ें
Next Story