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Jyotish Shastra: गुरुपुष्यामृत योग कब बन रहा है, जानें इसका महत्व, गुरु कृपा पाने का मंत्र और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का उपाय

Jyotish Shastra: ज्योतिष में गुरु पुष्य और रवि पुष्य योग का बहुत महत्व होता है और ये दोनों ऐसे योग हैं कि इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य जल्दी ही शुभ फल प्रदान करता है। जो व्यक्ति गुरुपुष्यामृत योग में अपने ईष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करता है तो उस व्यक्ति को सभी 27 नक्षत्र समेत सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। तो आइए जानते हैं गुरुपुष्यामृत योग कब बन रहा है, पुष्य योग का महत्व और इस दौरान दुर्भाग्य को सौभाग्य में कैसे बदलें।

Jyotish Shastra: गुरुपुष्यामृत योग कब बन रहा है, जानें इसका महत्व, गुरु कृपा पाने का मंत्र और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का उपाय
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Jyotish Shastra: ज्योतिष में गुरु पुष्य और रवि पुष्य योग का बहुत महत्व होता है और ये दोनों ऐसे योग हैं कि इन योगों में किया गया कोई भी शुभ कार्य जल्दी ही शुभ फल प्रदान करता है। जो व्यक्ति गुरुपुष्यामृत योग में अपने ईष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करता है तो उस व्यक्ति को सभी 27 नक्षत्र समेत सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। तो आइए जानते हैं गुरुपुष्यामृत योग कब बन रहा है, पुष्य योग का महत्व और इस दौरान दुर्भाग्य को सौभाग्य में कैसे बदलें।

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गुरुपुष्यामृत योग

25 नवंबर 2021, दिन गुरुवार को (सूर्योदय से शाम 06:50 तक) गुरुपुष्यामृत योग बन रहा है। वहीं शास्त्रों की मानें तो इस गुरुपुष्यामृत योग में मोती की माला लेकर जो व्यक्ति गुरुमंत्र का कम से कम 108 बार श्रद्धापूर्वक जप करता है तो व्यक्ति के ऊपर 27 नक्षत्र के देवता खुश हो जाते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु बृहस्पति उनकी कृपा ऐसे व्यक्ति पर विशेष रहती है। वहीं शास्त्रों की मानें तो पुष्य नक्षत्र समृद्धि देने वाला और सम्पति बढ़ाने वाला है। पुष्य नक्षत्र के दिन देवगुरु बृहस्पति का पूजन जरुर करना चाहिए। तथा गुरुपुष्यामृत योग में श्रद्धापूर्वक अपने सद्गुरु का ध्यान करके उनका पूजन करें और बृहस्पति के बीजमंत्र का जाप करें।

बृहस्पति का बीजमंत्र

ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का उपाय

दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए आप बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।

गुरुपुष्यामृत योग का महत्व

शिव पुराण के अनुसार पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। उज्जैन स्थितअवंतिका तीर्थ के पुरोहित पंडित. शिवम जोशी के अनुसार पुष्य नक्षत्र में किए गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है। इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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