Dussehra 2021: दशहरे के अवसर पर जानें अश्मंतक और शमी के पत्तों का ये खास महत्व, एक क्लिक में पढ़ें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
Dussehra 2021: पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैसे तो दशहरे के पावन पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में मनाया जाता है, लेकिन हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस पर्व से जुड़ी अनेक कथाएं और रीति रिवाज प्रचलित हैं। वहीं दशहरे के दिन अनेक प्रकार के टोने-टोटके आदि भी किए जाते हैं, तथा अनेक प्रकार की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। तो आइए जानते हैं दशहरे के दिन अश्मंतक और शमी के पत्तों से जुड़ी मान्यताओं और इसके महत्व के बारे में...

Dussehra 2021: पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैसे तो दशहरे के पावन पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में मनाया जाता है, लेकिन हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस पर्व से जुड़ी अनेक कथाएं और रीति रिवाज प्रचलित हैं। वहीं दशहरे के दिन अनेक प्रकार के टोने-टोटके आदि भी किए जाते हैं, तथा अनेक प्रकार की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। तो आइए जानते हैं दशहरे के दिन अश्मंतक और शमी के पत्तों से जुड़ी मान्यताओं और इसके महत्व के बारे में...
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अश्मंतक और शमी के पत्तों का महत्व एवं पौराणिक कथा
पौरणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्रीराम के पूर्वज और अयोध्या नरेश महाराजा रघु ने विश्वजीत नामक यज्ञ किया। इस यज्ञ में वे अपना सारा धन दान करने के बाद एक पर्णकुटी बनाकर उसमें रहने लगे। इस दौरान राजा रघु के पास एक कौत्स नामक ब्राह्मण आया। उसने राजा रघु को बताया कि, उसे गुरु दक्षिणा के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की जरुरत है, लेकिन राजा रघु तो अपना सबकुछ पहले ही दान कर चुके थे। ब्राह्मण को स्वर्ण मुद्रा देने के लिए उन्होंने देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर पर आक्रमण करने का विचार किया।
यह देखकर कुबेर भगवान महाराज रघु की शरण में आये तथा उन्होंने अश्म्तकं एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओ की वर्षा की। उनमे से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्ण मुद्रा ले ली। वहीं जो स्वर्ण मुद्रा कौत्स ने नहीं ली, वह स्वर्ण मुद्रा महाराज रघु ने अपनी प्रजा में बांट दी।
मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि, जिस दिन कुबेर भगवान ने यह स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा की वह दिन दशहरा का दिन था और तभी से दशहरे के दिन एक-दुसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक और शमी के पत्ते देते है। दशहरे के दिन इष्ट मित्रो को सोने के रुप में अश्मंतक के पत्ते देने की प्रथा महाराष्ट्र में आज भी चल रही है।
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दशहरे के दिन किए जाते हैं ये काम
- दशहरे के दिन भगवान श्रीराम , माता सीता और हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है।
- विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष का पूजन किया जाता है।
- दशहरे के दिन शिव तांडव स्त्रोत से शिवजी की आराधना करने का विधान है।
- दशहरे के दिन लोग अपने घरों और घर के मुख्य द्वार को फूल मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं।
- दशहरे के दिन लोग अपनी अपनी क्षमतानुसार सोना चांदी , वाहन , कपड़े और बर्तन आदि की खरीददारी करते हैं।
- दशहरे के दिन देशभर में रावण के पुतले बनाकर जगह-जगह जलाए जाते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)