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Chhath Puja 2023: माता सीता ने पहला छठ व्रत इस घाट पर रखा था, आज भी मौजूद हैं निशान

Chhath Puja 2023: छठ महापर्व पहली बार मुंगेर जिले के बबुआ घाट से लगभग 3 किलोमीटर दूर गंगा के बीच में पर्वत पर ऋषि मुद्रल के आश्रम में माता सीता ने छठ पूजन किया था। आज भी इस जगह पर मां सीता के चरणों के निशान हैं।

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माता सीता ने क्यों रखा था छठ पूजा व्रत 

Chhath Puja 2023: छठ के महापर्व का आज तीसरा दिन है। आज शाम को डूबते सू्र्य को अर्घ्य दिया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का पूर्वांचल राज्यों में विशेष महत्व है। इस पर्व को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने भी छठ व्रत रखा था। ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने पहली बार अपनी छठ पूजा बिहार के मुंगेर में गंगा नदी के तट पर की थी। जब सीता मैया भगवान राम के साथ वनवास पर गई थी, तभी उन्होंने छठ का व्रत रखा था। इसके बाद से ही छठ पूर्व की शुरुआत मानी जाती है।

माता सीता के चरणों के चिह्न मौजूद

मां सीता के चरणों को लेकर मान्यता है कि मुंगेर जिले के बबुआ घाट के पश्चिमी तट पर उन्होंने पूजा की थी। उस जगह पर उनके चरण आज भी मौजूद हैं। मां सीता के चरण एक बड़े से पत्थर पर बने हुए हैं। साथ ही, यहां पर आज एक विशाल मंदिर भी बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि किमद्गल ऋषि के कहने पर मां सीता ने छठ का व्रत रखा था।

रोजाना पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सीता ने कार्तिक मास की षष्ठी तिथि पर सूर्य देव की उपासना के लिए मुंगेर के बबुआ घाट के पश्चिमी तट पर पूजा की थी। आज भी इस घाट पर शिलपट पर मां सीता के व्रत रखने के कुछ निशान हैं। साथ ही यहां पर डाला, सूप और लोटे के निशान भी बने हुए हैं। आप सभी लोगों को इस बात की जानकर हैरानी होगी कि मंदिर का गर्भगृह पूरे साल में से छह महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है। माता सीता के चरणों के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु रोज आते हैं।

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