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Chaitra Navratri 2021 : नवरात्रि में क्यों लाभकारी है सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ, एक क्लिक में जानें इसकी विधि

  • सिद्ध कुंजिका स्त्रोत श्रीरूद्र या गौरी तंत्र में शिव-पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है।
  • सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ सरल और प्रभावशाली है।
  • सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के मंत्र अपने आपमें सिद्ध होते हैं।

Chaitra Navratri 2021 : नवरात्रि में क्यों लाभकारी है सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ, एक क्लिक में जानें इसकी विधि
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सिद्ध कुंजिका स्रोत एक स्त्रोत है और यह एक सिद्ध स्त्रोत है। ये स्त्रोत श्रीरूद्र या गौरी तंत्र में शिव-पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है। दुर्गा सप्तसती का पाठ थोड़ा कठिन होता है जबकि उसका पाठ करते समय नियम और सावधानियों का विशेष ध्यान करना पड़ता है। ऐसे में कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना ज्यादा सरल और प्रभावशाली है। कुंजिका स्त्रोत के पाठ से दुर्गा सप्तसती के संपूर्ण पाठ का फल मिलता है। इसके मंत्र अपने आपमें सिद्ध होते हैं। इसलिए इन्हें सिद्ध कुंजिका स्रोत कहते हैं। इन मंत्रों को अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है। ये एक अद्भुत स्त्रोत है। इसका प्रभाव चमत्कारी है। ये इतना चमत्कारी और शक्तिशाली स्त्रोत है कि अगर इसका नियमित रुप से पाठ किया जाये तो सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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अगर कोई व्यक्ति सिद्ध कुंजिका स्रोत का प्रतिदिन सुबह-सुबह नियमित रुप से पाठ करता है तो उसके जीवन में संघर्ष नहीं रहता, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पाठ से रोग मुक्ति, शक्ति संचित, शत्रु मुक्ति, कर्ज मुक्ति, सुखी दांपत्य जीवन और धन लाभ होता है। इस सिद्ध कुंजिका स्रोत के पाठ से व्यक्ति को वाणी और मन की शक्ति मिलती है। व्यक्ति के अन्दर असीम ऊर्जा का संचार होता है। व्यक्ति पर अशुभ ग्रहों का कोई असर नहीं होता और अशुभ ग्रहों के प्रभावों से छुटकारा मिलता है। जीवन में धन, सुख, समृद्धि मिलती है।

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सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करने की विधि

  1. नवरात्रि के दौरान नौ दिन तो सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ जरुर ही करना चाहिए। साथ ही साथ अगर आप नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं तो सबसे पहले मां भगवती के सामने घी का दीपक जलाएं।
  2. लाल आसन पर बैठकर सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करें तो बहुत शुभ रहेगा और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होगी।
  3. सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करते समय लाल वस्त्र धारण करें।
  4. सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करने से पहले मां भगवती को प्रणाम करके पाठ का संकल्प लें और तत्पचात सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करें।
  5. सिद्ध कुंजिका स्रोत का पाठ करते समय पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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