Chaitra Navratri 2021 : कलश स्थापना 12 या 13 अप्रैल जानें, चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होने की सही तिथि और अष्टमी, नवमी, दशमी पारण कब है
- चैत्र का महीना शुरू हो चुका है और बहुत जल्द ही चैत्र माह के नवरात्रों का शुभारंभ भी होने वाला है।
- चैत्र नवरात्र होली के बाद आने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं।

Chaitra Navratri 2021 : चैत्र का महीना शुरू हो चुका है और बहुत जल्द ही चैत्र माह के नवरात्रों का शुभारंभ भी होने वाला है, चैत्र नवरात्र होली के बाद आने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। यह पर्व नौ दिनों तक चलने वाला और मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रुपों की उपासना और व्रत भी किए जाते हैं। एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती हैं। इनमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक अर्थात चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती हैं, तो आइए जानते हैं साल 2021 में चैत्र नवरात्रि कब से शुरू हो रही हैं, घट या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि क्या होगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ और घटस्थापना तिथि
13 अप्रैल दिन मंगलवार
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
13 अप्रैल सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त
13 अप्रैल सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ
12 अप्रैल प्रात:काल 08 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त
13 अप्रैल प्रात:काल 10 बजकर 16 मिनट पर
चैत्र नवरात्रि का समापन होगा
22 अप्रैल गुरुवार के दिन
घट या कलश स्थापना प्रतिपदा तिथि और अभिजीत मुहूर्त में करना अति शुभ, श्रेष्ठकारी और उत्तम माना गया है।
चैत्र नवरात्रि 2021 की तिथियां
13 अप्रैल : प्रतिपदा नवरात्रि मां शैलपुत्री पूजा और घटस्थापना
14 अप्रैल : द्वितीया नवरात्रि मां ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल : तृतीया नवरात्रि मां चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल : चतुर्थी नवरात्रि मां कुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल : पंचम नवरात्रि मां स्कंदमाता पूजा,
18 अप्रैल : षष्ठी नवरात्रि मां कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल सप्तमी नवरात्रि कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल : अष्टमी नवरात्रि मां महागौरी पूजा
21 अप्रैल : नवमी नवरात्रि मां सिद्धिदात्री पूजा, रामनवमी
22 अप्रैल : दशमी नवरात्रि व्रत पारण
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कलश स्थापना विधि
नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की अराधना होती है। पहले दिन विधि अनुसार, घटस्थापना का विधान है। घट स्थापना से एक दिन पूर्व पूजा की सामग्री एकत्रित कर लें। इसके बाद नवरात्रि के पहले दिन स्नान के बाद पूजास्थल को स्वच्छ कर एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे भी शुद्ध कर लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और माता दुर्गा की प्रतिमा को इस चौकी पर स्थापित करें और कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापना या घटस्थापना के लिए रेत के ऊपर सात तरह के अनाज के बीज छिड़क दें। कलश स्थापना के लिए तांबे या मिट्टी का पात्र लें और इस कलश में गंगाजल मिला जल डाल लें। कलश में पान, सुपारी, अक्षत, हल्दी की गांठ, रुपया व दूब डालकी कलश के मुंह को मौली से बांध लें। अब कलश में आम या अशोक के पत्ते डाल लें। नारियल को एक चुनरी में लपेटकर कलश के ऊपर एक बर्तन में चावल भरकर इस पर नारियल स्थापित करें। अब व्रत का संकल्प लेकर गणपति व मां दुर्गा भवानी का स्मरण और ध्यान करें। कलश की स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल चुनरी और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विधिपूर्वक नौ दिनों तक मां भगवती का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ करके कन्या पूजन करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)