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Body Chakras: मानव शरीर में मौजूद हैं ये 7 चक्र, जानें इसका महत्व और नाम

Body Chakras: मनुष्य के शरीर में मूलतः सात चक्र होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इन चक्रों को मूलाधार, स्वाधिष्ठान, अनाहत, विशुद्ध, मणिपुर, आज्ञा और सहस्त्रार कहते हैं।

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मानव शरीर में मौजूद चक्र। 

Body Chakras: मनुष्य के शरीर में मूलतः सात चक्र होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इन चक्रों को मूलाधार, स्वाधिष्ठान, अनाहत, विशुद्ध, मणिपुर, आज्ञा और सहस्त्रार कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी मनुष्य का जीवन की ऊर्जा इन्हीं सात चक्रों में समाहित होती है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक इस 7 चक्रों को ठीक से प्रबंध कर ले, तो कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता मिल जाती है। कहते हैं कि अगर ये चक्र किसी जातक के शरीर में जैसे-जैसे ऊपर उठती है, वैसे-वैसे व्यक्ति के अंदर चमत्कारी परिवर्तन दिखने लगता है। तो आइये जानते हैं शरीर में मौजूद इन 7 चक्रों के बारे में...

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चक्र क्या होता है

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चक्रों की उत्पत्ति प्राचीन सनातन और बौद्ध परंपराओं से हुई है। ऐसा कहा जाता है कि ये चक्र व्यक्ति के शरीर के भीतर मौजूद ऊर्जा का केंद्र होता है। हमारे शरीर में ये सात चक्र स्थित होते हैं, जो हमारी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर सिर के शीर्ष तक जाते हैं। कहते हैं प्रत्येक चक्र की अपनी एक अलग से आवृत्ति होती है और कहा जाता है कि शरीर के हर एक विशिष्ट कार्यों को नियंत्रित करते हैं। व्यक्ति के शरीर में ये 7 चक्र रोग प्रतिरोध को बढ़ाता है। इसके साथ ही भावनात्मक प्रसंस्करण तक का हर एक चीज को प्रभावित करता है।

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जानें 7 चक्र कौन-कौन है


मूलाधार चक्र- शास्त्रों के अनुसार, मूलाधार या मूल चक्र मनुष्य की प्रवृत्ति, सुरक्षा, अस्तित्व और मौलिक क्षमता से संबंध रखता है। मूलाधार चक्र मनुष्य के गुप्तांग के बीच में होता है। ऐसी मान्यता है कि जब कोई व्यक्ति अपने अस्तित्व को खतरे में महसूस करने लगता है, तो इस चक्र से मारने या मरने के बारे में सोचता है।


स्वाधिष्ठान चक्र- ये चक्र व्यक्ति के कमर के पीछे की तिकोने हड्डी में स्थित होता है। स्वाधिष्ठान चक्र का आमतौर पर व्यक्ति के मूल तंत्र से संबंधित माना गया है। ये चक्र व्यसनों, मौलिक भावनात्मक और सुख के लिए होते हैं।


मणिपुर चक्र- ऐसा कहा जाता है कि मणिपुर चक्र पाचन और चयापचय तंत्र से संबंधित होता है। मणिपुर चक्र मनुष्य के नाभि स्थान पर व्यवस्थित होता है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति के शरीर में खाद्य पदार्थों को ऊर्जा के रूप में रूपांतरित करने का काम करता है।


अनाहत चक्र- अनाहत चक्र को अनाहत पुरी चक्र भी कहते हैं। ये चक्र मनुष्य की बाल्य ग्रंथि से संबंध रखता है। ऐसा कहा जाता है कि अनाहत चक्र मनुष्य के सीने में स्थित होता है।


विशुद्ध चक्र- विशुद्ध चक्र मनुष्य की थायराइड और हार्मोन को कंट्रोल करने का काम करता है। ऐसा कहा जाता है कि विशुद्ध चक्र मनुष्य के गले में स्थित होता है। ऐसी मान्यता है कि विशुद्ध चक्र की वजह से ही मनुष्य का विकास होता है।


आज्ञा चक्र- शास्त्रों के अनुसार, आज्ञा चक्र मनुष्य की दोनों भौहों के बीच में स्थित होता है। इस चक्र का मुख्य कार्य उच्च और निम्न को संतुलन बनाए रखना होता है।


सहस्त्रार चक्र- ऐसी मान्यता है कि मनुष्य के शरीर में मौजूद शुद्ध चेतना का विकास करने में सहस्त्रार चक्र का योगदान होता है। कहा जाता है कि सहस्त्रार चक्र मनुष्य की मस्तिष्क के बीच में ऊपर की ओर स्थित होते हैं।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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