Pradosh Vrat 2021 : जानें, बैशाख कृष्ण व शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत तिथि और महत्व
- हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक मास के तीस दिनों को दो पक्षों में बांटा गया है।
- एक माह में 15 दिन कृष्ण पक्ष और 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं।
- त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) किया जाता है।

Pradosh Vrat 2021 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक मास के तीस दिनों को दो पक्षों में बांटा गया है। 15 दिन कृष्ण पक्ष और 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं। वहीं त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) किया जाता है। इस तरह हर महीने दो प्रदोष व्रत किए जाते हैं। एक प्रदोष व्रत कष्ण पक्ष में और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है। वहीं शास्त्रों में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव को प्रसन्न किए जाने वाले सभी व्रतों में प्रदोष व्रत को अति प्रभावशाली माना गया है। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव का आशीर्वाद सदा बना रहता है। भगवान भोलेनाथ अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव माने गए हैं और इन्हें आशुतोष भी कहा जाता है अर्थात शीघ्र प्रसन्न होकर आशीष देने वाले देव। ये अपने भक्तों की पुकार को बहुत जल्दी ही सुनते हैं और थोड़े से पूजन करने से ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर उनकी सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। भगवान भोलेनाथ तो इतने भोले हैं कि यदि भक्त एक लोटा जल भी इन्हें अर्पित कर दे तो ये इतने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं प्रदोष काल क्या होता है।
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प्रदोष काल शिव आराधना के लिए सर्वोत्तम काल है। यानि सूर्यास्त का समय अर्थात गोधूलि बेला।
भगवान शिव के साथ-साथ प्रदोष व्रत चंद्रदेव से भी जुड़ा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि एक बार चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था। उन्होंने ही सबसे पहले प्रदोष व्रत रखा, जिसके कारण उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली।
हर महीने आने वाली दोनों त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। लेकिन प्रत्येक दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महिमा अलग-अलग होती है।
अगर प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि रविवार को पड़ती है तो इसे भानू प्रदोष व्रत या रविप्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत को नियमपूर्वक रखने से जीवन में सुख-शांति और लंबी आयु मिलती है। रवि प्रदोष का सीधा संबंध सूर्य से होता है। अत: इस व्रत को रखने से चंद्रमा के साथ-साथ सूर्य भी जीवन में सक्रिय रहता है। यह सूर्य से संबंधित होने के कारण नाम, यश और सम्मान दिलाता है।
अगर आपकी कुण्डली में अपयश के योग हैं तो ये प्रदोष व्रत अवश्य करें। सभी प्रदोष व्रत रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर होती हैं।
जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, वह सोम प्रदोष व्रत कहलाता है। इस व्रत को करने से इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है। जिनका चंद्र खराब असर दे रहा होता है तो उन्हें ये व्रत नियमपूर्वक करना चाहिए। जिससे जीवन में शांति बनी रहती है। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है।
वहीं अगर त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन पड़ रही होती है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। यदि किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो इस दिन इस व्रत को रखने से स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याओं से मुक्ति पायी जा सकती है। इस प्रदोष व्रत को विधि पूर्वक रखने से कर्ज से भी छुटकारा मिलता है।
यदि त्रयोदशी तिथि बुधवार के दिन पड़ती है तो सौम्यवाला प्रदोष व्रत कहते हैं। यह व्रत शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही जो भी मनोकामना आपकी होती हैं वे सभी पूरी होती हैं।
गुरुवार के दिन यदि त्रयोदशी तिथि पड़ रही होती है तो उसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत को रखने से बृहस्पति ग्रह तो शुभ प्रभाव देता ही है, साथ ही इसे करने से पितृों का भी आशीर्वाद मिलता है।
यदि शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है तो शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और धन-संपदा स्वत: ही मिल जाती है। इससे जीवन में सफलता मिलती है।
शनिवार के दिन यदि त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत को रखने से भगवान शिव के साथ-साथ न्याय के देवता शनि और हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं और आपको आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। वहीं इस व्रत को करने से पितृ भी प्रसन्न होते हैं और आपको अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वहीं इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। वहीं नौकरी और व्यवसाय में लाभ मिलता है।
मई 2021 प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत पक्ष | दिनांक और वार | प्रदोष व्रत |
कृष्ण प्रदोष व्रत की तिथि और वार | 08 मई, दिन शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
शुक्ल प्रदोष व्रत की तिथि और वार | 24 मई, दिन सोमवार | सोम प्रदोष व्रत |
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)