Baikuntha chaturdashi 2020: बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के बाद होता है महादेव का पूजन, पूजाविधि
Baikuntha chaturdashi 2020: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। वर्ष 2020 में बैकुंठ चतुर्दशी 29 नवंबर 2020, यानि की (कल) दिन रविवार को मनाई जाएगी।

Baikuntha chaturdashi 2020: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। वर्ष 2020 में बैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर 2020, यानि की (आज) दिन शनिवार को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव का पूजन करने से व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है और वह व्यक्ति अपने जीवन में अनेक सुखों का भोग करता हुआ अंत में परमगति यानि विष्णु लोक को प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की पूजाविधि के बारे में।
बैकुंठ चतुर्दशी की पूजाविधि (Baikuntha chaturdashi ki pujavidhi)
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में धूप, दीप, चंदन, श्वेत कमल पुष्प, केसर, चंदन का इत्र, गाय का दूध, मिश्री एवं दही आदि से भगवान विष्णु का अभिषेक करते हुए उनका षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। और अंत में भगवान की आरती करें। और अगर आपके लिए संभव हो तो श्रीमद्भगवतगीता के साथ-साथ श्रीसूत्क और पुरूसूत्क का पाठ भी अवश्य करें।
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भोग के रुप में मखाने की खीर भगवान को अर्पित करें। भगवान श्रीहरि की पूजा के बाद भगवान शंकर की विधिवत पूजा करनी चाहिए। उन्हें प्रसन्न करने के लिए गाय के दूध या गंगाजल से उनका अभिषेक करें। और फिर पुष्प, बेलपत्र आदि से षोडशोपचार पूजन करने के बाद शिवजी के बीज मंत्र का एक माला जप करना चाहिए। इस दिन भगवान शंकर को भी मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने भगवान श्रीहरि को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। इस दिन व्रत कर तारों की छांव में सरोवर-नदी इत्यादि के तट पर 14 दीपक जलाने की भी परंपरा है। वहीं इस दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से अलौकिक फल की प्राप्ति होती है।