Chanakya Niti : इन चार पुरुषों को स्त्रियों से हमेशा दूर ही रहना चाहिए, नहीं तो कर देतीं हैं जीवन बर्बाद
Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने चार ऐसे पुरूषों के बारे में बताया है जिनके लिए स्त्रियां विष के समान होती हैं। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य इस विषय में क्या कहते हैं।

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने पुरुषों को अत्यंत ही क्रूर, विषयाग्नि वाली और भ्रम पैदा करने वाली स्त्रियों से दूर रहने के बारे में कहा है। लेकिन काम के वश में फंसे हुए पुरूष के लिए ऐसी स्त्री से दूर रहना असंभव है। जब तक ऐसे व्यक्ति को स्त्री के दर्शन नहीं होते तब तक वह स्त्रियों को देखने के लिए आतुर रहता है। स्त्रियों को देखने की इच्छा से वह अपनी आंखें चारों ओर घूमाता रहता है। और जब उसे वह स्त्री दिखाई देती है तो वह उसे आलिंगन देने के बारे में विचार करने लगता है। और भाग्य वश वह उस स्त्री को अपने गले लगा लेता है तो वह उस स्त्री को कभी नहीं छोड़ना चाहता। अत: एक नीच को चाहे किसी भी स्थान पर रखा जाए, चाहे स्वर्ग में हो या नर्क में वह सदैव ही स्त्रियों की कामाग्नि रुपी प्रचंड ज्वाला में जलने के लिए तत्पर रहता है। ऐसा पुरुष ना तो विद्या ही ठीक से ग्रहण कर पाता है और ना नहीं अपने माता-पिता की सेवा ही करता है, वह तो केवल चंचल, बड़े-बड़े नेत्रों वाली सुन्दर स्त्रियों को जिसे उसने सपने में भी गले नहीं लगाया हो बल्कि उन्हें दूर से ही देखकर उन्हें पाने का लोभ करते हुए कौआ के समान व्यर्थ ही समय व्यतीत करता है। और ऐसे कामी पुरुष को उस स्त्री की ही प्राप्ति हो पाती है और ना ही वह अपने माता-पिता की सेवा करके पुण्य ही प्राप्त कर पाता है। और ना ही ऐसा पुरुष धन ही कमा पाता है। ऐसे पुरुष अपनी बुद्धि से ही स्वयं का विनाश कर लेता है। क्योंकि कामदेव का प्रभाव अत्यंत ही कष्टकारक है। कामक्रीड़ा में व्यस्त नाग और नागिन तपती हुई अग्नि में भी जलने के लिए चले जाते हैं। इसलिए ऐसे पुरुष को अपनी इंद्रियों को वश में करके पुण्य कर्म करने चाहिए। नहीं तो ऐसे पुरुष का भी विनाश शीघ्र ही हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में तीन ऐसे नीच पुरुषों का वर्णन किया है जिनके लिए स्त्री विष के समान होती है। ऐसे पुरुष को स्त्री का सहवास नहीं करना चाहिए। नहीं तो वह स्त्री उसका अनिष्ट ही कर देती है।
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1. निर्धन व्यक्ति
चाणक्य के अनुसार निर्धन और गरीब व्यक्ति को स्त्री को पाने की इच्छा कभी नहीं रखनी चाहिए। निर्धन व्यक्ति स्त्री की इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकता। अत: ऐसे पुरुष की नीच पत्नी धन पाने के लिए दूसरे पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगती है। जब तक कि कोई पुरुष उचित धन-संपत्ति कमाने में सक्षम नहीं हो जाता तब तक उसे स्त्री की इच्छा नहीं करनी चाहिए। नहीं तो उसे जीवन भर दुख और अपमान का सामना करना पड़ेगा।
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2. वृद्ध
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक वृद्ध पुरुष के लिए जवान स्त्री विष के समान होती है। वृद्ध पुरुष जवान स्त्री की कामाग्नि को शांत नहीं कर पाता। ऐसे में अगर वह धन के बल पर किसी जवान स्त्री से विवाह कर लेता है तो ऐसे में उसकी पत्नी उसके सेवक अथवा उसके सगे-संबंधियों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर पथ भ्रष्ट हो सकती है। इसलिए वृद्ध पुरूषों को अपना जीवन केवल ईश्वर भक्ति में ही लगाना चाहिए। उनके लिए स्त्री मोह का त्याग कर देना ही उचित होता है।
3. नपुंसक
अगर पुरुष नपुंसक है तो उसे किसी भी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। नपुंसक के लिए स्त्री विष के समान होती है। वह अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाता है। ऐसे में उसका और उस स्त्री का जीवन बर्बाद हो जाता है। इसलिए नपुंसक पुरूष को कभी किसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए।
4. बुद्धिमान पुरुष
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक बुद्धिमान पुरुष को क्रूर और दुष्ट स्वभाव वाली स्त्री से कभी प्रेम नहीं करना चाहिए। नहीं तो वह स्त्री उसकी बुद्धि पर ग्रहण लगा देगी। और उसका जीवन नष्ट कर देगी। एक दुष्ट स्त्री बुद्धिमान पुरुषों की ऊर्जा को नष्ट करने वाली और धन का नाश करने वाली होती है। इसलिए दुष्ट स्त्रियों से दूर ही रहना उचित है।