सावन का अंतिम सोमवार 2025: श्रेष्ठ मुहूर्त में करें शिवलिंग अभिषेक, पूर्ण होंगी मनोकामनाओं; जानें महादेव की पूजा विधि

सावन 2025 का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और ब्रह्म, इंद्र, सर्वार्थ सिद्धि योग के दुर्लभ संयोग का महत्व।

By :  Desk
Updated On 2025-08-04 05:00:00 IST

सावन सोमवार 2025 | 4 अगस्त 2025 | शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 

सावन का अंतिम सोमवार, 4 अगस्त 2025, भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत शुभ दिन है। इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो भक्तों के लिए महादेव की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करता है।

दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्योदय सुबह 5:44 बजे और सूर्यास्त शाम 7:10 बजे होगा। यह संयोग पूजा, व्रत और अनुष्ठान के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

सावन के अंतिम सोमवार का ज्योतिषीय महत्व

इस बार सावन का अंतिम सोमवार ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष है।

पंचांग के अनुसार:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक (शिवलिंग जलाभिषेक के लिए सर्वोत्तम समय)।
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 2:42 से 3:36 बजे तक।
  • अमृत काल: शाम 5:47 से 7:34 बजे तक।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:44 से रात 9:12 बजे तक (कार्य सिद्धि और समृद्धि के लिए शुभ)।
  • इंद्र योग: सुबह 7:06 से 7:25 बजे तक (आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक)।
  • चंद्र गोचर: चंद्रमा वृश्चिक राशि में अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में रहेगा, जो पूजा को और फलदायी बनाएगा।

सावन के अंतिम सोमवार की पूजा विधि

सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।

इन विधियों का पालन करें:

  • स्नान और तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर हरे या सफेद वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग स्थापित करें।
  • पंचामृत अभिषेक: दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बने पंचामृत तथा गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • इत्र और भेंट: शिवलिंग पर इत्र लगाएं। बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, अक्षत, काला तिल, जौ, गेहूं, मिश्री या गुड़, अबीर-बुक्का, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है।
  • बेलपत्र अर्पण: 108 या अधिक बेलपत्रों पर भगवान श्रीराम का नाम लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • स्तोत्र और आरती: शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षर मंत्र और द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र का पाठ करें। अंत में शिव आरती करें।

सावन के अंतिम सोमवार का महत्व

मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा और व्रत से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे- नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। ग्रह दोषों में अनुकूलता आती है। मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। विवाह, करियर और सुख-समृद्धि में सफलता मिलती है।

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