अब आयरलैंड मॉडल पर कश्मीर समस्या का हल तलाशा जाएगा

श्रीनगर. अब कश्मीर की समस्यों को आयरलैंड मॉडल पर तलाशा जाएगा। केंद्र सरकार कश्मीरी जनता तथा अलगाववादी संगठनों की प्रतिनिधि पार्टी सर्वदलीय हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ नागालैंड की तर्ज पर देश व संविधान के बाहर बातचीत करने को भी तैयार हो गई है। इस दिशा में दोनों ही पक्षों द्वारा तेजी के साथ कदम उठाए जा रहे हैं। फिलहाल यह सुनिश्चित नहीं है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत कब तक आरंभ हो पाएगी। हालांकि इसके प्रति संकेत अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला देने लगे हैं।
हाल ही में एक इंग्लैंड की पत्रिका को दिये साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने इसके प्रति रहस्योद्धाटन किया है कि आयरलैंड मॉडल के आधार पर कश्मीर समस्या का हल खोजा जा रहा है। जबकि सर्वदलीय हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं ने भी इसकी पुष्टि की है कि कश्मीर समस्या के हल की खातिर उसके घटक दलों को आयरलैंड मॉडल स्वीकार्य है। बस चिंता इस बात की है कि भारत सरकार के साथ होने वाली बातचीत जल्द आरंभ होनी चाहिए ताकि कोई तीसरा पक्ष बातचीत में अड़ंगा न डालने पाए। हालांकि उन्होंने इसके प्रति चुप्पी ही साधी हुई है कि क्या तीसरे पक्ष का इशारा पाकिस्तान की ओर है।
हालांकि आयरलैंड मॉडल पर कश्मीर समस्या का हल तलाशने की कवायद हुर्रियत कांफ्रेंस की ओर से उसी समय आरंभ की गई थी जब अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उसे कश्मीर समस्या के हल की खातिर बेलफास्ट समझौते पर विचार करने के लिए कहा था।
अभी तक पाकिस्तान के साथ त्रिपक्षीय बातचीत कर कश्मीर समस्या का हल तलाशने के लिए अपने आपको भी बातचीत में शामिल करने तथा पाकिस्तान मेल में सवार होने का राग अलापने वाली सर्वदलीय हुर्रियत कांफ्रेंस ने भी अब इसके प्रति संकेत दिए हैं कि वह आयरलैंड मॉडल के तहत कश्मीर समस्या का हल तलाशने की संभावनाओं पर अगले कुछ दिनों में हुर्रियत कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई जाने वाली है। अगले कुछ दिनों में हुर्रियत की होने वाली बैठक में आयरलैंड मॉडल अर्थात बेलफास्ट समझौते पर चर्चा करने का प्रस्ताव लाया जाने वाला है।
वही कश्मीर समस्या का हल तलाशने की खातिर चल रही इस कवायद का एक खास पहलू यह कहा जा सकता है कि अब हुर्रियत कांफ्रेंस बातचीत में पाकिस्तान को शामिल करने का जोर नहीं डाल रही। पहले ही इस पर हुर्रियत के भीतर द्वंद्व हो चुका है लेकिन वह इस मांग की निर्रथकता को जान चुकी है। हालांकि यह बात उसने स्पष्ट शब्दों में तो नहीं कही है मगर यह इशारा जरूर किया है कि अगर बातचीत में देरी की गई तो कुछ ताकतें उसमें अड़ंगा डाल सकती हैं। असल में हुर्रियत को डर है कि पाकिस्तान उसकी पेशकश से तिलमिला उठेगा और वह हुर्रियत नेताओं की हत्याएं करवा कर कश्मीर में हवा के रूख को मोढऩे की कोशिश कर सकता है। नतीजतन उसने गेंद को भारत सरकार के पाले में डाल दिया है।
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