मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केसः आखिर क्यों ब्रजेश ठाकुर ने कहा की वह कांग्रेस से चुनाव लड़ना चाहता था, जानें सच्चाई
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड मामले में एक बार सियासत गरमागई है। मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने दावा किया है कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाला था इसलिए उसे फंसाने की साजिश रची गई है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 9 Aug 2018 4:43 PM GMT
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड मामले में एक बार सियासत गरमागई है। मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने दावा किया है कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाला था इसलिए उसे फंसाने की साजिश रची गई है।
हालांकि कांग्रेस पार्टी इस बात को पूरी तरह से खारिज कर रही है। कल कोर्ट में पेशी के लिए जाते वक्त ब्रजेश ठाकुर ने कहा था कि वह कांग्रेस की सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाला था। इस बात को कहते ही कांग्रेस महकमें में सनसनी फैल गई। जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने इसे बेबुनियादी बातें करार दिया।
इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह बयान घिनौने कांड से ध्यान भटकाने के लिए दिलवाया गया। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता। इस बात को जानने के लिए हम आपको ब्रजेश ठाकुर के राजनीतिक सफर के बारे में बताने जा रहे हैं।
दरअसल, ब्रजेश 23 साल पहले राजनीति में आया था। उसने सबसे पहले 1995 में कुरहनी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी की ओर से नामांकन भरा था। आनंद मोहन सिंह ब्रजेश के राजनीतिक गुरु थे। जिन्होंने जनता दल से अलग होकर बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई। जिसमें शामिल होकर ब्रजेश ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा।
उसके सामने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के दिग्गज नेता बसावन भगत चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन इसके अलावा बिहार का बाहुबली अशोक सम्राट भी उसी सीट से चुनावी मैदान में था।
अशोक सम्राट के बारे में कहा जाता है कि वह बिहार के अपराधियों का सरगना था और पूरे उत्तरी बिहार में उसका सिक्का चलता था।
हुआ कुछ एसा कि अशोक ने ब्रजेश ठाकुर को सीधे तौर पर चुनाव न लड़ने की धमकी दे डाली। इससे पहले की ब्रजेश ठाकुर नाम वापस लेता, नाम वापसी का दिन बीत गया था। लेकिन ब्रजेश ने खुद को चुनाव से अलग करने का फैसला ले लिया। जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो बसावन भगत चुनाव जीत गए थे और ब्रजेश ठाकुर को भी 202 वोट मिले गए थे।
अगली बार 2000 के विधानसभा चुनाव में ब्रजेश ठाकुर एक बार फिर से कुढ़नी से ही चुनाव लड़ा। इस बार ब्रजेश ने जमकर चुनाव प्रचार किया और खूब पैसे खर्च किए, लेकिन वो जीत नहीं सका।
हालांकि इस बार अशोक सम्राट चुनावी मैदान में नहीं था क्योकि हाजीपुर पुलिस ने अशोक को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। लेकिन इस बार भी बसावन भगत ने ब्रजेश को मात दी, लेकिन इस चुनाव में ब्रजेश दूसरे नंबर पर आ गया था। उसे 32,795 वोट मिले थे, जबकि बसावन भगत को 48,343 वोट मिले थे।
2005 में ब्रजेश ठाकुर फिर से चुनाव लड़ता लेकिन इससे पहले ही 2004 में बिहार पीपुल्स पार्टी के मुखिया आनंद मोहन ने अपनी पार्टी को कांग्रेस के साथ गठबंधन कर दिया।
इसलिए किसी हद तक ब्रजेश के कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने की बात को पूरी तरह से खारिज भी नही कर सकते हैं लेकिन ब्रजेश के इस प्रकरण में शामिल होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि राज्य में लम्बे वक्त से बीजेपी और जेडीयू की सरकार है।
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