संकष्टी चतुर्थी का शास्त्रों में बेहद महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसर प्रत्येक मास में दो चतुर्थी पड़ती है। पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के तौर पर जाना जाता है।
हालांकि संकष्टी चतुर्थी तो हर माह पड़ता है, लेकिन माघ मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इस चतुर्थी को तिल चतुर्थी या माघी चतुर्थी के अन्य नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और चन्द्र देव की पूजा का विधान है।
शास्त्रों के अनुसार जो कोई भी इस दिन विघ्नाहर्त्ता गणेश जी की उपासना करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावे इस दिन गणेश जी की उपासना करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान से संबंधित समस्या दूर होती है।
इसे भी पढ़ें: जेब रहती है अक्सर खाली ! पीले चावल का यह अचूक उपाय, रातोंरात बनाएगा मालामाल
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी इस बार 4 जनवरी (गुरूवार) को है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजन से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा सबसे अधिक महत्व बताया गया है। इसके अलावे इस दिन गणेश जी की पूजा से अपयश और बदनामी के दुर्योग भी कट जाते हैं। इतना ही नहीं इस गणेश की पूजा से धन से संबंधित समस्या भी आसानी से दूर होती है।
इसे भी पढ़ें: राशिफल 2018: इन 6 राशियों पर रहेगी राहु-केतु की तिरछी नजर, केवल यह शास्त्रीय उपाय ही बचा सकता है आपको
संतान प्राप्ति के उपाय
- संकष्टी चतुर्थी संतान प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
- सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए रात्रि में चन्द्र देव को अर्घ्य देना चाहिए।
- भगवान गणेश के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलना चाहिए।
- भगवान गणेश को अपनी आयु के बराबर तिल का लड्डू अर्पित करना चाहिए।
- गणेश की प्रतिमा के समक्ष ॐ नमो भगवते गजाननाय इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
- इस मंत्र का जाप यदि पति-पत्नी एक साथ करें तो अत्यंत लाभ होगा।